- धार्मिक असहिष्णुता, पक्षपातपूर्ण कानूनी प्रक्रियाएँ, पक्षपातपूर्ण शिक्षा और मीडिया पाकिस्तान में अल्पसंख्यक लड़कियों के शारीरिक-मानसिक शोषण के कारण हैं।
- दो-राष्ट्र का सिद्धांत और ब्रिटिश औपनिवेशिक नीतियों ने लंबे समय से चले आ रहे धार्मिक तनाव को बढ़ावा दिया है, जो पाकिस्तान के संविधान और संस्थानों के इस्लामीकरण से और बढ़ गया हैं।
- अपहरण और बलात्कार का असर लड़कियों पर मनोवैज्ञानिक रूप से भी पड़ता है। इसे सामाजिक कलंक बता कर उन्हें समाज से अलग-थलग कर दिया जाता है। परिवार वाले न्याय माँगने से भी डरते हैं और परिणामस्वरूप पाकिस्तानी हिंदू लड़कियों में साक्षरता दर बहुत कम हो गयी है।
- चिंगारी प्रोजेक्ट जैसी पहल स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय अभियानों और शिक्षा प्रसार से जागरूकता बढ़ाने का काम कर रही है। यह अल्पसंख्यक लड़कियों के समर्थन में बात करती है और पाकिस्तान पर धार्मिक रूप से अल्पसंख्यकों की रक्षा करने का दबाव डालती है।
संयुक्त राष्ट्र ने 15 मार्च 2022 को, पाकिस्तान के एक ऐसे प्रस्ताव पर अपनी स्वीकारता की मोहर लगा दी जिसमें 15 मार्च का दिन “इस्लामोफोबिया के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस” के रूप में मनाने की बात कही थी। लेकिन, जब संयुक्त राष्ट्र इस विषय पर विचार कर रहा था, पाकिस्तान में युवा हिंदू लड़कियों भारी अत्याचार हो रहे थे और हो रहे हैं। खेद यह है कि इस अंतर्राष्ट्रीय संस्था के पास इसलामोफोबिया की तो चर्चा करने का समय था, पर उन बच्चियों की चिंता करने का समय नहीं था। जाहिर है, इन लड़कियों की भयावह दुर्दशा से अधिक महत्वपूर्ण इन देशों और संस्थाओं के लिए इस्लामोफोबिया ख़त्म करना है।
असल बात तो ये है कि इस “पाक जमीन” कहे जाने वाले दोजख में अल्पसंख्यकों को प्रति दिन संस्थागत भेदभाव और हिंसा का सामना करना पड़ता है। हिंदू, सिख और ईसाई समुदायों की लड़कियों के लिए खतरे और भी गंभीर हैं। उन्हें अक्सर अपहरण, जबरन धर्म परिवर्तन और जबरन विवाह का शिकार होना पड़ता है। रिपोर्ट बताती हैं कि हर साल एक हज़ार से ज़्यादा युवा लड़कियों[1] को, जिनमें से कुछ की उम्र सात साल भी नहीं होती, का अपहरण किया जाता है। उन्हें इस्लाम में धर्मांतरित होने के लिए मजबूर किया जाता है और फिर उनकी इच्छा के खिलाफ उनकी शादी अपहरणकर्ताओं या किसी बूढ़े मुसलमान से कर दी जाती है। इन कुकृत्यों को अक्सर धार्मिक या सामाजिक नियमों की आड़ में उचित ठहराया जाता है, जिससे पीड़ितों और उनके परिवारों को न्याय का रास्ता तक नहीं मिलता।
शोषण के स्वरूप
पाकिस्तान में हिंदू, सिख और ईसाई लड़कियों का उत्पीड़न एक बहुत गंभीर मुद्दा है। इसमें लड़कियों के शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक शोषण शामिल है। इन युवा लड़कियों को जबरन विवाह और धर्मांतरण के लिए मजबूर किया जाता है, जिससे उनकी पहचान, स्वतंत्रता और भविष्य का सर्वनाश कर दिया जाता है।[2] इन लड़कियों पर जो अत्याचार होते हैं, उससे उनका निजी जीवन तो प्रभावित होता ही है, साथ ही उनके परिवारों और समुदायों को भी यह प्रभावित करता है। ऐसे परिवार लगातार भय और असहायता की स्थिति में रहते हैं।
अत्याचार के सामाजिक कारण
पकिस्तान में हिन्दू अल्पसंख्यक लड़कियों के साथ होने वाले अत्याचार में वहाँ के समाज की भी बड़ी भूमिका है और इसमें धार्मिक असहिष्णुता सबसे महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान का निर्माण दो-राष्ट्र सिद्धांत पर हुआ था। इसके तहत, कहा गया था कि भारतीय मुसलमान और हिंदू अपने रीति-रिवाज़ों और जीवन-शैली के कारण दो अलग-अलग राष्ट्र हैं। इसलिए आजादी के बाद इसे दो देशों में बाँट देना चाहिए। सात दशक के बाद, इस सिद्धांत का प्रभाव साफ़ दिख रहा है। पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव और उत्पीड़न जारी है।
दो राष्ट्र का यह सिद्धांत बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय के दिमाग का फितूर बना हुआ है। कानून का शासन कहीं नहीं दिखता है। ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी घटनाएँ सबसे ज्यादा होती है, और स्थानीय अधिकारी अक्सर अल्पसंख्यक समुदायों पर हो रहे अत्याचार को अनदेखा कर देते हैं।
इसके अलावा, इन कमज़ोर समूहों की सुरक्षा के लिए प्रभावी कानूनी तंत्र भी लगभग न के बराबर है। यहां तक कि जब मामले अदालत में आते हैं, तो कानूनी प्रक्रिया अक्सर पक्षपातपूर्ण होती है। अदालत भी मुस्लिम समुदाय का ही पक्ष लेती है और पीड़ितों को न्याय दिलाने में विफल रहती है। शिक्षा प्रणाली और मीडिया भी इन पूर्वाग्रहों को बनाए रखने में भूमिका निभाते हैं। पाकिस्तान के सैन्य तानाशाह जिया-उल-हक द्वारा लागू किए गए आक्रामक कार्यक्रम के कारण 1970 के दशक से स्कूली पाठ्यक्रमों का इस्लामीकरण हो गया। अक्सर धार्मिक अल्पसंख्यकों को नकारात्मक दिखाया जाता है, जिससे कम उम्र से ही असहिष्णुता का माहौल बन जाता है। इन घटनाओं का मीडिया कवरेज भी नहीं के बराबर होता है, और होता भी है तो पक्षपातपूर्ण। इस वजह से ऐसे मुद्दे पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ध्यान नहीं दिया जाता। यह पूर्वाग्रह एक ऐसा माहौल बनाता है, जहां अपराधी दंड के भय के बिना ऐसे कुकृत्य करते रहने के लिए खुद को ताकतवर मानने लगते हैं।
ऐतिहासिक संदर्भ
पाकिस्तान या बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ होने वाले अत्याचार को समझने के लिए ऐतिहासिक संदर्भ को समझना महत्वपूर्ण है। औपनिवेशिक काल के दौरान, ब्रिटिश फूट डालो और राज करो की नीति पर काम करते थे। इससे धार्मिक तनाव बढ़ा और इसके परिणामस्वरूप संयुक्त प्रांत (अब उत्तर प्रदेश) के मुस्लिम अभिजात वर्ग, ख़ास कर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में, एक अलग इस्लामिक देश की कल्पना शुरू हुई। 1947 में भारत के विभाजन के कारण पाकिस्तान का निर्माण हुआ। सीमा के दोनों ओर लाखों लोगों की मौत हुई। लाखों लोग विस्थापन का शिकार हुए। खूनी दंगों ने पाकिस्तान में धार्मिक असहिष्णुता के बीज बोए, जो इसके संविधान[3] और संस्थानों के इस्लामीकरण के कारण और भी जटिल हो गया। आगे चल कर यही सब हिन्दू-सिख-इसाई अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार के रूप में सामने आया। इधर, भारत धर्मनिरपेक्ष बना रहा, और सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार भारत का परम धर्म रहा।
मदरसों की भूमिका
पाकिस्तान में इस्लामिक मदरसों ने हिंदू लड़कियों और महिलाओं के जबरन धर्मांतरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पाकिस्तान में पंजीकृत मदरसों की संख्या 1988 में 3,000 से बढ़कर 2015 में लगभग 30,000 हो गई है। इसमें तीस लाख से अधिक युवा धार्मिक रूप से कट्टर हुए हैं। इस्लामिक धार्मिक शिक्षा में तेजी से प्रसार ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत को बढ़ावा दिया है और जबरन धर्मांतरण में वृद्धि की है। कुछ मदरसे, जैसे भरचुंडी शरीफ और पीर अयूब जान, सिंध प्रांत में हिंदू लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन को बढ़ावा देने के लिए कुख्यात हैं। मदरसे पाकिस्तान में धार्मिक चरमपंथ के असल केंद्र हैं।[4] कुछ मदरसे इस्लाम की कट्टर और असहिष्णु व्याख्या (देवबंदी, वहाबी, सलाफी) को बढ़ावा देते हैं, जो धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार को सही ठहराते हैं। अधिकांश मदरसे अपने पाठ्यक्रम में आधुनिक और धर्मनिरपेक्ष विषयों, महिलाओं के अधिकारों और मानवाधिकार शिक्षा को शामिल नहीं करते हैं।
यह एक संकीर्ण और पितृसत्तात्मक नजरिये को बढ़ाता है। इससे अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदुओं के खिलाफ सामाजिक भेदभाव बढ़ता है और गैर-मुस्लिम महिलाओं के यौन शोषण के लिए धार्मिक आधार प्रदान करता है। शक्तिशाली मदरसा और मौलवियों ने पैसा कमाने के लिए जबरन धर्मांतरण का धंधा करना शुरू कर दिया है।
कट्टरता के कोई सीमा नहीं
आसिया नोरीन, जिसे आसिया बीबी के नाम से भी जाना जाता है, एक पाकिस्तानी ईसाई महिला हैं, जिन्हें 2010 में पैगंबर की निंदा का दोषी ठहराया गया था और फांसी की सजा सुनाई गई थी।[5] असल में, वह एक दिन खेत में काम कर रही थी। अपने मजदूर साथी के साथ बहस हो गयी। लोगों ने उन पर पैगंबर मुहम्मद का अपमान करने का आरोप लगाया। इस मामले ने अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया और विरोध प्रदर्शन हुए। लगभग एक दशक जेल में रहने के बाद, पाकिस्तान की सर्वोच्च अदालत ने अक्टूबर 2018 में सबूत काफी न होने का हवाला देते हुए उन्हें बरी कर दिया। बरी होने के बाद, उन्हें काफी धमकियों का सामना करना पड़ा। आखिरकार मई 2019 में उन्हें पाकिस्तान छोड़ने की अनुमति मिली और वे कनाडा चली गईं।[6]
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गवर्नर सलमान तासीर आसिया के समर्थक थे। उन्होंने सार्वजनिक रूप से पाकिस्तान के ब्लासफेमी कानून (अल्लाह की निंदा क़ानून) का विरोध किया और आसिया बीबी की रिहाई की बात कही थी। इस वजह से वे चरमपंथियों के निशाने पर आ गए थे।[7] 4 जनवरी, 2011 को उनके अंगरक्षक मुमताज कादरी ने ही उनकी हत्या कर दी। बाद में कादरी को हत्या के लिए दोषी ठहराया गया और उसे फांसी दे दी गई। फरवरी 2016 में, कादरी की फांसी के बाद, रावलपिंडी शहर में कादरी को जहां दफनाया गया था, वह स्थान उसके समर्थकों के लिए एक तीर्थस्थल बन गया।[8] समय के साथ, उसके सम्मान में एक बड़ा मकबरा बनाया गया। यहाँ बड़ी संख्या में पर्यटक और समर्थक आते हैं। जाहिर है, पाकिस्तान के भीतर अपने ब्लासफेमी कानून और आसिया बीबी के मामले को लेकर गहरे मतभेद थे। कादरी, जिस को पंजाब के गवर्नर के कत्ल में फांसी दी गई, उसे लोग आज ब्लासफेमी क़ानून बचाने वाले नायक के रूप में देखते हैं। इस से ये तो साफ हो जाता है कि पाकिस्तान के भीतर ब्लासफेमी कानून को चुनौती देने वाले और अल्पसंख्यक अधिकारों की बात करने वालों के सामने कितने खतरे हैं।
अत्याचार के कुछ दुखद मामले इस समस्या की गंभीरता बताने के लिए काफी है। उदाहरण के लिए, सिंध में एक नाबालिग युवा हिंदू लड़की के साथ बलात्कार किया गया और उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई। उसका शव एक डॉक्टर के घर में मिला।[9] पाकिस्तान के बहुत सारे मुस्लिम पुरुष – शिक्षित हों या अनपढ़ – मानते हैं कि अल्पसंख्यक लड़कियों का बलात्कार करना उनका कर्तव्य और विशेषाधिकार है। एक अन्य मामले में, 7 वर्षीय प्रिया कुमारी सिंध में मोहर्रम के दौरान अपने पिता के साथ शर्बत बाँट रही थी।[10] तभी कुछ मुस्लिम पुरुष उसे उठा ले गए। ऐसा कहा जाता है कि एक मुस्लिम व्यक्ति, सरदार जाहिद अली शाह ने प्रिया की माँ से प्रेम करने की कोशिश की थी, लेकिन वह सफल नहीं हुआ। इसलिए उसने छोटी लड़की को उठा लिया। उसका अब तक कुछ पता नहीं चला है और पुलिस जांच का नाटक कर रही है।
पाकिस्तान में अहमद रजा नाम के एक मुस्लिम व्यक्ति ने 11 वर्षीय ईसाई लड़की के साथ बलात्कार किया, फिर भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।[11] एक अन्य मामले में, 14 वर्षीय नाबालिग हिंदू लड़की परीशा कुमारी का अपहरण सिंध के गढ़ी मोरी में हथियारबंद लोगों ने कर लिया। उसका जबरन धर्म परिवर्तन कराया।[12] पुलिस रिपोर्ट दर्ज होने के बाद भी, 9वीं कक्षा की इस छात्रा को बरामद करने के लिए आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
सिंध के घोटकी इलाके की नाबालिग हिंदू लड़की कविता कुमारी का अपहरण कर लिया गया और मियां अब्दुल हक उर्फ मियां मिठू की दरगाह पर जबरन उसका धर्म परिवर्तन कराया गया। इस दरगाह का मौलवी हिंदुओं और सिखों पर अत्याचार, शोषण और जबरन धर्म परिवर्तन की कई घटनाओं में शामिल रहा है और इसी काम के लिए कुख्यात है। एक वायरल वीडियो में उसे कविता कुमारी को इस्लाम अपनाने के लिए मजबूर करते देखा जा सकता है।[13] दिसंबर 2022 में, फाइव आईज अलायन्स (Five Eyes Alliance) के सदस्य यूनाइटेड किंगडम (UK) द्वारा मिठू को शीर्ष 30 मानवाधिकार का उल्लंघन करने वाला माना। लेकिन दुर्भाग्य से, अन्य अलायन्स सदस्यों, जैसे कि अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड, ने चुप्पी का ही सहारा लेना पसंद किया।
जून 2023 में, एक 14 वर्षीय हिंदू लड़की, सोहाना शर्मा कुमारी को उसके शिक्षक और साथियों ने पाकिस्तान के सिंध में उसके घर से बंदूक की नोक पर अगवा कर लिया। जबरन उसका धर्म परिवर्तन करवाया गया और एक मुस्लिम व्यक्ति से उसकी शादी करवा दी गयी। उसके पिता, दिलीप कुमार ने उसके अपहरण की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज कराई। परिवार की गुहार के बाद भी, जिला अदालत ने उसे उसके माता-पिता को वापस करने से इनकार कर दिया।[14] ऐसी दिल दहला देने वाली घटनाएं, पाकिस्तान में अत्याचार का सामना कर रही हिंदू लड़कियों की सुरक्षा की तत्काल जरूरत बताती है।
पीड़ितों और परिवारों पर दुष्प्रभाव
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक लड़कियों के उत्पीड़न का पीड़ितों और उनके परिवारों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है। अपहरण, जबरन धर्म परिवर्तन और यौन शोषण का असर मनोवैज्ञानिक रूप से भी होता है। कई लड़कियों को पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD), चिंता और अवसाद होता है। ऐसे अनुभवों से जुड़ा कलंक उन्हें उनके ही समुदायों से अलग कर देता है। इस कारण से उनकी पीड़ा और बढ़ जाती है। पीड़ितों के परिवारों को अक्सर धमकियां मिलाती है। इससे वे न्याय मांगने से भी डरते है। सामाजिक समर्थन न मिलने से ऐसे परिवार फिर से जीवन जीना भी शुरू नहीं कर पाते है। इन इस्लामिक कट्टरपंथियों का डर कहे कि कई माता-पिता अपनी बेटियों को स्कूल नहीं भेजना चाहते हैं। ऐसे में, पाकिस्तानी हिंदू लड़कियों में साक्षरता दर भी बहुत कम है।
चिंगारी प्रोजेक्ट: आशा की किरण
इस घोर निराशा और अन्धकार के बीच, चिंगारी प्रोजेक्ट[15] जैसी पहल आशा की एक किरण है। चिंगारी प्रोजेक्ट एक गैर-सरकारी संस्था है। यह पाकिस्तान में अल्पसंख्यक लड़कियों पर हो रहे अत्याचार का मुकाबला करने मे जुटी हुई है।
चिंगारी प्रोजेक्ट स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता अभियान चलाती है।[16] मानवाधिकार संगठनों के साथ साझेदारी करके, पीड़ितों की आवाज़ को बुलंद करती है। यह पाकिस्तानी सरकार पर धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने का दबाव बनाती है। चिंगारी प्रोजेक्ट ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यक लड़कियों के हालात पर जागरूकता बढ़ा कर और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ कर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। यह ऐसी लड़कियों के अपहरण, जबरन धर्म परिवर्तन और शोषण के मुद्दों का खुलासा करता है, ताकि दुनिया इस अत्याचार से परिचित हो सके। दुनिया भर के हिंदू समुदायों को इसमें शामिल करके, चिंगारी प्रोजेक्ट ने पाकिस्तान में हिंदू, सिख और ईसाई लड़कियों के खिलाफ अत्याचार ख़त्म करने और पाकिस्तानी सरकार पर कार्रवाई करने के लिए दबाव डालने के लिए समर्थकों का एक बड़ा नेटवर्क तैयार किया है।
चिंगारी प्रोजेक्ट का समर्थन
चिंगारी प्रोजेक्ट का समर्थन करना पूरी दुनिया के हिन्दुओं की नैतिक जिम्मेवारी है। इस समर्थन से पाकिस्तानी कट्टरपंथियों का शिकार हो रही अल्पसंख्यक हिन्दू-सिख-इसाई लड़कियों के जीवन में सार्थक बदलाव आ सकता है। इस प्रोजेक्ट को निम्नलिखित तरीके से समर्थन दिया जा सकता है:
जागरूकता फैलाएँ: चिंगारी प्रोजेक्ट के बारे में सोशल मीडिया, ब्लॉग या आपसी बातचीत के जरिये लोगों को बताएं। पाकिस्तान की अल्पसंख्यक लड़कियों की दुखद कहानी और उनके अधिकारों की रक्षा के महत्व के बारे में दूसरों को शिक्षित करें।
दान दें: चिंगारी प्रोजेक्ट को धन की सहायता देने की कोशिश करें।[17] दान में मिले धन से पीड़ितों के लिए कानूनी सहायता और फंड आदि देने में मदद मिल सकती है।
स्वयंसेवक बनें: अगर आपके पास कानूनी विशेषज्ञता, सामाजिक कार्य का अनुभव या संचार कौशल हैं, तो आप इस प्रोजेक्ट की मदद कर सकते है। आपका समय और विशेषज्ञता इस प्रोजेक्ट के लिए काफी अहम है।
वकालत: इन लड़कियों की दुर्दशा के बारे में जागरूकता बढ़ाने और मजबूत सुरक्षा और जवाबदेही की बात करने के लिए नीति निर्माताओं, मानवाधिकार संगठनों और अंतरराष्ट्रीय निकायों को पत्र लिखें।
सहयोग करें: चिंगारी प्रोजेक्ट या इस क्षेत्र में काम करने वाले अन्य संगठनों के साथ साझेदारी करें। अभियानों, कार्यशालाओं या जागरूकता कार्यक्रमों में सहयोग करें।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भूमिका
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का नैतिक दायित्व है कि वह पाकिस्तानी सरकार को जवाबदेह ठहराए। उस पर दबाव डाले और यह सुनिश्चित करे कि पाकिस्तान अपने सभी नागरिकों की सुरक्षा के लिए कदम उठाए। चाहे उनका धर्म जो भी हो। अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों और विदेशी सरकारों को पाकिस्तान पर अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा करने वाले कानूनों को लागू करने के लिए दबाव डालने की आवश्यकता है। इस बारे में कूटनीतिक प्रयास, आर्थिक प्रतिबंध और अंतर्राष्ट्रीय बहस की जरूरत है।
निष्कर्ष
पाकिस्तान में हिंदू और ईसाई लड़कियों पर अत्याचार और उनके साथ बलात्कार एक गंभीर मानवाधिकार का मुद्दा है। इस पर तत्काल कार्रवाई किए जाने की जरूरत है। इस अत्याचार के स्वरुप को समझ कर, इसे ख़त्म करने की दिशा में काम कर रहे संगठनों और चिंगारी प्रोजेक्ट जैसी पहलों का समर्थन करना बहुत जरूरी है। हम एक ऐसा भविष्य बना सकते है, जहाँ हर धर्म की लड़की भय और अत्याचार से बच सके। यह सुनिश्चित करना हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी है कि इन छोटी लड़कियों की चीखें अनसुनी न रह जाए और इनके परिवार वालों को न्याय मिले।
Citations
[1] Each year, 1,000 Pakistani minority girls kidnapped, forcibly converted to Islam – South Asia News; https://www.wionews.com/south-asia/each-year-1000-pakistani-minority-girls-kidnapped-forcibly-converted-to-islam-353121
[2] Pakistan: Stolen Hindu and Christian Children; https://moderndiplomacy.eu/2023/08/31/pakistan-stolen-hindu-and-christian-children/
[3] Islamization in Pakistan; https://en.wikipedia.org/wiki/Islamization in Pakistan
[4] Pakistan: Karachi’s Madrasas and Violent Extremism; https://www.crisisgroup.org/asia/south-asia/pakistan/pakistan-karachi-s-madrasas-and-violent-extremism
[5] Asia Bibi blasphemy case; https://en.wikipedia.org/wiki/Asia_Bibi_blasphemy_case
[6] Asia Bibi: Pakistan acquits Christian woman on death row; https://www.bbc.com/news/world-asia-46040515
[7] Taseer’s death exposes fissures in Pakistani society; https://www.bbc.com/news/world-south-asia-12124761
[8] In Pakistan, a shrine to murder for ‘blasphemy’; https://www.aljazeera.com/features/2017/2/10/in-pakistan-a-shrine-to-murder-for-blasphemy
[9] Pakistan Hindu girl student raped and murdered, reveals autopsy report; https://www.nationalheraldindia.com/international/pakistan-hindu-girl-student-raped-and-murdered-reveals-autopsy-report
[10] Two years of agony: Abduction of Priya Kumari sheds light on rising child abduction crisis in Sindh; https://loksujag.com/story/child-kidnapping-sukkur-eng
[11] https://x.com/KomalMahajan_/status/1777974111740027125
[12] https://www.facebook.com/Hindus.pak/posts/14-years-old-girl-parisha-kumari-was-beaten-abducted-and-forced-converted-by-arm/3526866880710617/
[13] Mian Mithoo | Minor Hindu girl abducted and forcibly converted to Islam in Pakistan by Islamic cleric Mian Mithoo; https://www.timesnownews.com/international/article/minor-hindu-girl-abducted-and-forcibly-converted-to-islam-in-pakistan-by-islamic-cleric-mian-mithoo-watch/591747
[14] Pak Court Refuses To Send With Parents Hindu Girl Forcibly Converted To Islam (ndtv.com); https://www.ndtv.com/world-news/pak-court-refuses-to-send-with-parents-hindu-girl-forcibly-converted-to-islam-4110356
[15] Pak Court Refuses To Send With Parents Hindu Girl Forcibly Converted To Islam (ndtv.com); https://www.ndtv.com/world-news/pak-court-refuses-to-send-with-parents-hindu-girl-forcibly-converted-to-islam-4110356
[16] CHINGARI: A Global Campaign for Hindu, Sikh Girls Abducted in Sindhudesh (Pakistan); https://indiachronicle.in/chingari-a-global-campaign-for-hindu-sikh-girls-abducted-in-sindhudesh-pakistan/
[17] Donate to CHINGARI Project of HinduPACT (raiselysite.com); https://chingari.raiselysite.com/