- अमेरिका एक ऐसे रास्ते पर चल रहा है, जिस पर यूरोप पहले चल चुका है और उसके परिणाम स्वरूप जिहादी एन्क्लेव और आतंकवाद को झेल रहा है।
- ब्रसेल्स के मोलनबर्ग पड़ोस और अन्य यूरोपीय क्षेत्रों की स्थिति दर्शाती है कि कैसे इस्लामिक कट्टरपंथ ने जड़ें जमा ली हैं, जहां से कई जिहादी आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए निकले हैं।
- मुस्लिम ब्रदरहुड जैसे कट्टरपंथी समूह कथित तौर पर अमेरिकी समाज में घुसपैठ कर रहे हैं, और इमिग्रेशन के ढीले कानूनों का लाभ उठाकर कट्टरपंथी मुस्लिम समुदायों की स्थापना कर रहे हैं।
- राष्ट्रीय सुरक्षा को सुरक्षित रखने के लिए, सख्त इमिग्रेशन नीतियां लागू की जानी चाहिए, जिसमें मुस्लिम-बहुल देशों से आव्रजन को समाप्त करना भी शामिल हो सकता है, ताकि अमेरिका में कट्टरपंथ के बढ़ते हुए खतरे को रोका जा सके।
“अब जिहाद उतना ही अमेरिकी बन चुका है जितना कि एप्पल पाई (एक आम अमेरिकी मिठाई) – अनवर अल-अवलाकी, अमेरिकी मूल के अल कायदा आतंकवादी।
ब्रसेल्स का मोलनबेक इलाका बाहर से तो साधारण लग सकता है, लेकिन इसके अंदर आतंकवाद का एक बड़ा अड्डा है। चार्ली हेब्दो पर हमला करने वाले आतंकवादियों समेत, इस्लामी आतंकवादियों का एक बड़ा हिस्सा यहीं से निकला था। बेल्जियम के ज़्यादातर लोग, जो ISIS में शामिल होने गए थे, इसी जिहादी इलाके से थे, जो ब्रसेल्स के बीचों-बीच स्थित है। इसी कारण पूर्व फ्रांसीसी पत्रकार और अब दक्षिणपंथी नेता एरिक ज़ेमूर ने कहा कि फ्रांस को ISIS की राजधानी रक्का पर बमबारी करने के बजाय मोलनबेक पर बमबारी करनी चाहिए।[1]
20वीं सदी के अंत से यूरोप में इस्लामी आतंकवाद एक गंभीर खतरा रहा है, जिसे अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट जैसे समूहों ने अंजाम दिया है। 2017 में, यूरोपीय संघ के आतंकवाद विरोधी समन्वयक गिल्स डे केर्चोव ने कहा था कि यूरोप में 50,000 से ज़्यादा कट्टरपंथी और जिहादी थे[2]। 2016 में, फ्रांसीसी अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा खतरे की सूची में शामिल 20,000 में से 15,000 इस्लामी आंदोलनों से जुड़े थे।[3]
2014-2016 के दौरान यूरोप में इस्लामी आतंकवादी हमलों में जितने लोग मारे गए, उतने पहले कभी नहीं हुए थे। इन हमलों की वजह से यूरोपीय देशों में बड़े सुरक्षा अभियान चलाए गए। याद रहे कि केवल एक साल, 2021, में फ्रांस में पाँच आतंकवादी हमले हुए, और जर्मनी में तीन।[4]
अमेरिका की चिंता
अमेरिकी लोग यूरोप में बढ़ती अशांति की खबरों से चिंतित हैं, जहां बड़े पैमाने पर मुस्लिम प्रवास गंभीर चुनौतियां पैदा कर रहा है। इसमें आतंकवाद की घटनाएं, महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा में वृद्धि, और ऐसे जिहादी-प्रभावित इलाकों का उभरना शामिल है, जहां कानून प्रवर्तन भी जाने से बचता है। परंतु कुछ ही लोग ऐसा समझते हैं कि अमेरिका भी इसी खतरनाक रास्ते पर आगे बढ़ रहा है।
अनुभवी पत्रकार लियो होहमान ने “स्टेल्थ इनवेशन: मुस्लिम कॉन्क्वेस्ट थ्रू इमिग्रेशन एंड रीसैटलमेंट जिहाद” में बताया है कि मुस्लिम ब्रदरहुड से जुड़े कार्यकर्ताओं का एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क पिछले तीन दशकों से अमेरिका में अपनी जड़ें जमा रहा है, जिसे अमेरिकी इमिग्रेशन प्रणाली का समर्थन मिल रहा है। इसका नतीजा यह है कि सैकड़ों अमेरिकी शहरों और कस्बों में बड़ी आबादी में बदलाव की योजनाएं पहले से ही लागू हो रही हैं।[5]
यह बदलाव सिर्फ न्यूयॉर्क, शिकागो, और लॉस एंजेलिस जैसे बड़े शहरों में ही नहीं, बल्कि ट्विन फॉल्स, इडाहो और सेंट क्लाउड, मिनेसोटा जैसे छोटे शहरों में भी हो रहा है। इन प्रवासियों और शरणार्थियों का एक उदाहरण गाजा में हमास की समर्थक एक महिला है। एक तुर्की टीवी इंटरव्यू में उसने कहा कि फिलिस्तीनी अल्लाह की सेवा के लिए यहूदीयों को ज़िंदा जलाने जैसे काम करते हैं। उसने कहा कि फिलिस्तीनी इस्लाम को दुनिया पर थोपने के लिए एक दिव्य आदेश को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो हिटलर की नरसंहार की मंशा के समान है। “अल्लाह की कसम, सिर्फ फिलिस्तीन के लोग ही इस्लामिक राष्ट्र का सम्मान वापस लाएंगे।”[6]
FBI द्वारा जब्त किए गए मुस्लिम ब्रदरहुड के दस्तावेज़ों के अनुसार, उनका मकसद पश्चिमी लोकतंत्रों में घुसपैठ करना और उन्हें भीतर से जीतना है, और, वामपंथी और अराजकतावादी समूहों (जैसे ब्लैक लाइव्स मैटर) के साथ साझेदारी करके पश्चिमी सभ्यता और यहूदी-ईसाई मूल्यों को नष्ट करना है, जो इन लोकतंत्रों की नींव हैं। वे उदार इमिग्रेशन कानूनों का उपयोग करके अमेरिका में इस्लाम के लिए बस्तियां बनाना चाहते हैं, जो बाद में ऐसे मुस्लिम एन्क्लेव बन जाते हैं जो जल्दी ही किसी स्थानीय मस्जिद के मौलवी या पाकिस्तान में किसी इमाम द्वारा पोस्ट किए गए यूट्यूब वीडियो से प्रेरित होकेर कट्टरपंथी बन सकते हैं।
चटानूगा, ऑरलैंडो, सैन बर्नार्डिनो, सेंट क्लाउड (मिनेसोटा), और मैनहट्टन के चेल्सी क्षेत्र में हुए आतंकवादी हमले मुस्लिम प्रवासियों द्वारा किए गए थे, या सैन बर्नार्डिनो और ऑरलैंडो के मामलों में, मुस्लिम प्रवासियों के बच्चों द्वारा। इसके अलावा, 9/11 के बाद से विफल किए गए कई हमलों की योजना मुस्लिम शरणार्थियों और प्रवासियों द्वारा ही बनाई गई थी।
सभ्यताओं का संघर्ष अब केवल एक बौद्धिक बहस नहीं रह गया है – यह अब पूरे अमेरिका के मोहल्लों में दस्तक दे रहा है। हालांकि, अधिकांश अमेरिकी अपनी उपभोक्तावादी जीवनशैली में व्यस्त हैं या रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स के बीच राजनीतिक संघर्ष में उलझे हुए हैं। उन्हे इस बात का जरा भी भान नहीं है कि जिहादी खतरा अब उनके दरवाजे पर दस्तक दे रहा है।
जब दुनिया का अधिकांश हिस्सा इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ सक्रिय युद्ध लड़ रहा है, कई जाने माने अमेरिकी अभी भी इस बात से बेखबर हैं कि उनका असली दुश्मन कौन है। लेखक रॉबर्ट स्पेंसर के अनुसार, “उत्तरी अमेरिका में अभिजात वर्ग उन लोगों को चुप कराने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जो प्रभावी ढंग से तर्क करते हैं कि आतंकवाद की जड़ें स्वयं इस्लाम में हैं, जो केवल एक धर्म कहीं है, बल्कि एक कट्टरपंथी और खतरनाक राजनीतिक विचारधारा है, जो जानबूझकर, भले ही अक्सर अप्रत्यक्ष रूप से, खुद को लोकतंत्र और बुनियादी मानवाधिकारों के विरोध में रखती है।“[7]
यूरोपीय लोगों ने इस्लामी क्षेत्रों से अपने महाद्वीप में बिना रोक-टोक के बड़े पैमाने पर प्रवास की अनुमति देने में हुई गलती को देर से ही सही, लेकिन समझ लिया है। इसके विपरीत, अमेरिका में अपनी सीमाओं की सुरक्षा को लेकर कोई तत्परता नहीं दिख रही है। बाइडेन-हैरिस प्रशासन ने देश में अवैध प्रवास को प्रोत्साहित करने के लिए हरसंभव कदम उठाए हैं। लगभग 1 करोड़ लोग मेक्सिको के माध्यम से देश में घुस चुके हैं और पूरे देश में फैल गए हैं। काबुल में अमेरिकी समर्थन वाली सरकार के पतन के बाद 90,000 से अधिक बिना दस्तावेज़ वाले अफ़गानों का प्रवेश कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए नई समस्याएं खड़ी कर रहा है। इन में से कुछ शरणार्थी तो नाबालिगों के बलात्कार जैसे घिनौने अपराधों पर भी उतर आए हैं।
जैसा कि स्पेंसर ने कहा है, “यदि पश्चिमी यूरोप इस्लामीकरण की दिशा में आगे बढ़ता है, जैसा कि जनसांख्यिकी आंकड़े दिखाते हैं, तो जल्द ही अमेरिका को एक ऐसे दुनिया का सामना करना पड़ेगा जो आज की तुलना में बहुत अलग और अधिक कठोर होगी। और इस्लामीकरण की यही प्रक्रिया यहां भी जारी रहेगी, जब तक कि समय रहते लोग इसे रोकने के लिए जागरूक न हो जाएं। अमेरिका में मुस्लिम आबादी पश्चिमी यूरोप की तुलना में काफी छोटी है। उनमें से सक्रिय श्रेष्ठतावादी (सुप्रेमेसिस्ट) और भी कम संख्या में हैं। फिर भी, जो कुछ यूरोप में हो रहा है, वह आसानी से अमेरिका में भी हो सकता है।“[8]
यूरोप में जो कुछ हो रहा है, वह विशेषज्ञों द्वारा वर्षों से दिए गए चेतावनियों के साथ पूरी तरह मेल खाता है। अमेरिकी लेखक गैड साद के अनुसार, यह एक सरल मुद्दा है। “जब दो संस्कृतियां, जो मूल रूप से एक-दूसरे के विपरीत हैं, एक साथ रहती हैं, तो समरसता और एकीकरण की संभावना काफी कम हो जाती है।” 1,400 साल से अधिक का एक बड़ा ऐतिहासिक रिकॉर्ड मौजूद है, जिसे पश्चिम में कई लोग नज़रअंदाज कर देते हैं। अपनी “ऑस्ट्रिच पैरासिटिक सिंड्रोम” से छुटकारा पाएं और उस दुनिया को देखें जो वास्तव में है, न कि उस यूनिकॉर्निया को जो आप चाहते हैं कि अस्तित्व में हो।“[9]
समन्वयवादी मुस्लिम के अस्तित्व का भ्रम
बड़ा सवाल यह है कि मुसलमानों की वफादारी कहां है? अमेरिका के साथ या इस्लाम के साथ? अगर इस्लाम सिर्फ एक धर्म होता, तो यह सवाल फिजूल होता। लेकिन चूंकि इस्लाम में शासन भी धर्म के अधीन आता है, इसलिए इस्लाम के प्रति वफादारी में धर्म और सरकार दोनों शामिल होते हैं।
यह मुद्दा सैन्य और कानून प्रवर्तन में सबसे महत्वपूर्ण बन गया है। दुर्भाग्य से, दोनों में कई घटनाएं सामने आई हैं, जहां मुसलमानों को कानूनों को लागू करने और शांति बनाए रखने को, या इस्लाम के प्रति अपनी वफादारी का सम्मान करने के बीच निर्णय लेना पड़ा। यह कोई आश्चर्य नहीं है कि उन्होंने इस्लाम के प्रति वफादारी को चुना।
एक उदाहरण है पुलिस सार्जेंट मोहम्मद वीस रसूल का, जो वर्जीनिया के फेयरफैक्स काउंटी में एक अफगान प्रवासी था, जिसने आतंकवाद के लिए निगरानी में रखे गए एक मुस्लिम मित्र को सतर्क कर दिया। पुलिस बल में रसूल का साथी, सार्जेंट नावेद बट, जो पाकिस्तानी मूल का था, भी संदेह के घेरे में आया, हालांकि उसे रसूल की तरह नौकरी से नहीं निकाला गया। फेयरफैक्स विभाग में काउंसिल ऑन अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशंस (एक कट्टरपंथी जिहादी संगठन) का एजेंट होने के नाते, वह विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय के भीतर फेयरफैक्स काउंटी पुलिस विभाग के अधिकार को कमजोर करता रहा है। इसके अलावा, न्यूयॉर्क के कानून प्रवर्तन में भी इसी तरह की समस्याओं के सबूत मिले हैं।[10]
लॉस एंजिल्स में एक मुस्लिम एफबीआई एजेंट ने कथित तौर पर एक पाकिस्तान-आधारित आतंकवादी समूह के सरगना को चेतावनी देकर एक बहु-एजेंसी आतंकवाद जांच को खतरे में डाल दिया, जिसे संयुक्त आतंकवाद कार्य बल द्वारा दो से अधिक वर्षों से निगरानी में रखा गया था। एजेंट ने कथित तौर पर कई जांचों से समझौता किया; जासूसी इतनी व्यापक थी कि एफबीआई को इस बढ़ते घोटाले के बारे में जानकारी दी गई थी।
अमेरिकी सैन्य बलों के भीतर सबसे प्रसिद्ध घटना फोर्ट हूड में हुई, जहां मेजर निडाल हसन ने निहत्थे सैनिकों पर गोलीबारी की थी। इसी तरह की छोटी घटनाएं अफगानिस्तान और इराक के अमेरिकी युद्ध क्षेत्रों में भी हुई हैं, जो अमेरिकी सैनिकों की हत्या से अलग हैं। यह एक गंभीर और बढ़ती हुई समस्या है जो अमेरिकी सुरक्षा प्रणाली की जड़ों पर हमला करती है। सोचिए कि अगर आपका पड़ोस का पुलिसकर्मी एक इस्लामी आतंकवादी है, तो आपके परिवार की सुरक्षा कौन करेगा?
स्पेंसर मुसलमानों की ये बँटी वफादारी पर टिप्पणी करते हुए कहते हैं, “हर कोई समन्वयवादी मुसलमानों को खोजने और यह साबित करने के लिए उत्सुक है कि ‘देखिए, ये लोग वे हैं जिन पर हम भरोसा कर सकते हैं और सब कुछ ठीक है।’ सच यह है कि निश्चित रूप से समन्वयवादी मुसलमान होते हैं। दूसरे शब्दों में, ऐसे लाखों मुसलमान हैं जो हिंसा या राजनीतिक वर्चस्व में रुचि नहीं रखते, जो अमेरिकी प्रणाली को नष्ट करना या इस्लामी कानून थोपना नहीं चाहते। लेकिन याद रहे कि जर्मन में लाखों लोग नाज़ी नहीं थे, लाखों रूसी सोवियत कम्युनिस्ट नहीं थे। लेकिन जब नाज़ियों ने यहूदियों को मारना शुरू किया, तो ऐसे लाखों लोगों कुछ नहीं किया। ऐसे लोग, संगठित और उग्र अग्रदूतों के खिलाफ खड़े होने के लिए कुछ भी करने में सक्षम नहीं थे। और यही स्थिति आज हमारे सामने है।“[11]
खतरे को समझना
पारंपरिक समझ में, रक्षात्मक जिहाद को आक्रमणकारियों से मुसलमानों की रक्षा के लिए एक वैध संघर्ष के रूप में देखा जाता है। यह उन सामान्य सिद्धांतों के तहत संचालित होता है जो युद्ध के आचरण को नियंत्रित करते हैं, जैसे कि न्यूनतम बल का उपयोग, गैर-युद्धरत लोगों की सुरक्षा, और घात और हत्या से बचना।
हालांकि, समकालीन कट्टरपंथी व्याख्याओं ने जिहाद को एक वैश्विक इस्लामी क्रांति के आह्वान में बदल दिया है। यह नया दृष्टिकोण पश्चिम के साथ अपने संबंधों को लेकर मुस्लिम दुनिया में पीड़ित मानसिकता की व्यापक भावना में निहित है। उदाहरण के लिए, ओसामा बिन लादेन के फरवरी 1998 के फतवे में स्पष्ट रूप से अमेरिकियों और उनके सहयोगियों, दोनों नागरिकों और सैन्य कर्मियों की हत्या का आह्वान किया गया था।
कट्टरपंथी इस्लामवादियों ने अपने विचारधारा के केंद्र में सशस्त्र जिहाद को रखकर एक धर्मशास्त्रीय ढांचे को पुनर्जीवित किया है, जो सत्रहवीं सदी के धार्मिक युद्धों के बाद यूरोप में काफी हद तक समाप्त हो गया था। जबकि कई विद्वानों का तर्क है कि इस्लाम के मूल सिद्धांत अन्य धर्मों की तुलना में स्वाभाविक रूप से अधिक हिंसा को प्रोत्साहित नहीं करते, परंतु धार्मिक युद्ध वर्तमान हिंसा के लिए एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक है।
इस्लामी कट्टरपंथ की राजनीति ने “मैं लड़ता हूं, इसलिए मैं हूं” की मानसिकता को जन्म दिया है। इस्लामी नेताओं को अपनी नेतृत्व स्थिति को बनाए रखने के लिए लगातार लोकप्रिय जिहाद की आवश्यकता होती है। इस संदर्भ में, स्पेंसर कहते हैं कि दुनिया को सबसे महत्वपूर्ण निर्णय लेना है कि इस्लाम को शांति का धर्म मानना बंद करना चाहिए। “इसका एक स्वाभाविक रूप से राजनीतिक चरित्र है, जिसे प्रवासियों द्वारा पश्चिम में लाया जा रहा है और यह भविष्य में और अधिक परेशानी का कारण बनेगा। ये ठीक है कि हमें शांतिपूर्ण मुसलमानों को प्रोत्साहित करना चाहिए, लेकिन उनके पास इस्लामी दुनिया में पर्याप्त प्रभावशाली आवाज़ नहीं है। इसलिए उन पर भरोसा करना बेकार है। जिहादी मुसलमान बातचीत या रियायतों से नहीं मानेंगे। यह 1,400 साल पुराने युद्ध का पुनरुत्थान है, और हमें इसके लिए तैयार रहना होगा कि यह जल्द ही समाप्त नहीं होगा – और हमें अपनी रक्षा के लिए सैन्य और वैचारिक रूप से तैयार रहना होगा।“[12]
रोनाल्ड के. पीयर्स ने “इस्लामी हिंसा अमेरिका की सड़कों पर” में कहा, “इस बात पर जोर देना बंद करें कि इस्लाम शांति का धर्म है। ऐसा बिलकुल नहीं है। अमेरिकियों को समझना चाहिए कि हम किस प्रकार की लड़ाई में घिरे हैं। जो समन्वयवादी मुसलमान अमेरिकी या पश्चिमी मूल्यों का समर्थन करते हैं, उन्हें अपने धर्म के भीतर जिहादियों का सार्वजनिक रूप से सामना करना होगा। इस सार्वजनिक प्रतिबद्धता के बिना, अमेरिकी और पश्चिमी लोग उनके ‘समन्वयवादी ‘ होने के दावे को स्वीकार नहीं करेंगे। मुसलमानों की नकारात्मक छवि कई वर्षों से बन रही है और 9/11 और कई समान हमलों जैसी अमेरिका-विरोधी नाटकीय घटनाओं से पोषित हुई है। मुसलमानों के इरादों पर यह संदेह आसानी से दूर नहीं होगा।”[13]
इस्लामीकरण का खतरा और अमेरिकी नीति
इस्लामी विचारधारा का कट्टर पंथी मुसलमानों को शांतिपूर्ण और समान नागरिकों के रूप में जीने की अनुमति नहीं देता, इसलिए अमेरिका के पास मुस्लिम देशों से आव्रजन को समाप्त करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। “यह राष्ट्रीय सुरक्षा का एक सरल मामला है। इसे निश्चित रूप से नस्लवाद के रूप में निंदा की जाएगी, लेकिन कठोर वास्तविकता यह है कि आप किसी भी स्पष्ट तरीके से शांतिपूर्ण मुसलमानों को जिहादियों से अलग नहीं कर सकते। इसलिए, सोमालिया, सीरिया और पाकिस्तान जैसे जिहादी हॉटस्पॉट क्षेत्रों से पूरे मुस्लिम समुदायों को अमेरिका लाना और उन्हें अमेरिकी समुदायों में छोड़ना बस हास्यास्पद और आत्मघाती है।”[14]
पीयर्स सहमत हैं: “जिहादी विचारधारा को ध्यान में रखते हुए आव्रजन नीतियों में संशोधन करें या अमेरिका में सभी मुस्लिम आव्रजन को समाप्त करें। हमें अमेरिका में जिहादियों को प्रवेश देना बंद करना चाहिए, और हो सकता है कि सभी मुस्लिम आव्रजन को पांच से दस वर्षों के लिए सीमित या समाप्त कर देना ही बुद्धिमानी हो।”[15]
अमेरिकी नीति निर्माताओं को यह समझना चाहिए कि सिर्फ जनसंपर्क प्रयासों, तुष्टिकरण के कृत्यों या नीतिगत बदलावों से इस्लामी दुनिया में अमेरिका-विरोध को समाप्त नहीं किया जा सकता है। मुसलमानों की एकीकरण या समायोजन में कोई रुचि नहीं है। उनका उद्देश्य सिर्फ अमेरिका का इस्लामीकरण करना है। वॉशिंगटन जो सबसे अच्छा कर सकता है, वह यह है कि वह अपने हितों और सहयोगियों के लिए अडिग समर्थन दिखाए।
संदर्भ
[1] Europe’s ‘Jihad Capital’ a Warning against Islamization (youtube.com); https://www.youtube.com/watch?v=To6HuE1btbY
[2] El coordinador antiterrorista de la UE: “Lo de Barcelona volverá a pasar, hay 50.000 radicales en Europa(Translation: The EU’s anti-terrorism coordinator: “What happened in Barcelona will happen again; there are 50,000 radicals in Europe)” | España Home | EL MUNDO; https://www.elmundo.es/espana/2017/08/31/59a70a48ca4741f7588b45e4.html
[3] Qui sont les 15 000 personnes « suivies pour radicalisation (Translation: Who are the 15,000 people ‘monitored for radicalization’)? (lemonde.fr)’ https://www.lemonde.fr/les-decodeurs/article/2016/09/12/qui-sont-les-15-000-personnes-suivies-pour-radicalisation_4996528_4355770.html
[4] (PDF) Jihadi Terrorism in Europe: The IS-Effect | Anne Stenersen and Petter Nesser – Academia.edu; https://www.academia.edu/34319801
[5] Stealth Invasion: Muslim Conquest Through Immigration and Resettlement Jihad in Hardcover by Leo Hohmann – Porchlight Book Company (porchlightbooks.com); https://www.porchlightbooks.com/product/stealth-invasion-muslim-conquest-through-immigration-and-resettlement-jihad–leo-hohmann/isbn/9781944229580
[6] Gaza ‘March of Return’ activist says Jews will soon be buried in ‘ditches of Hitler’ – JNS.org; https://www.jns.org/gaza-march-of-return-activist-says-jews-will-soon-be-buried-in-ditches-of-hitler/
[7] Confessions of an Islamophobe by Robert Spencer | Goodreads; https://www.goodreads.com/book/show/35456173-confessions-of-an-islamophobe
[8] Robert Spencer, Mass Migration in Europe: A Model for the US?, https://www.splcenter.org/fighting-hate/extremist-files/individual/robert-spencer
[9] Gad Saad on X: “What you are seeing in Britain is precisely what I have been warning about for decades. It is not rocket science. If you take two cultures that are fundamentally antithetical to each other, you’ll eventually find out that progressive coexistence is not going to work well.” / X; https://x.com/GadSaad/status/1820219179196416449
[10] Ronald K. Pierce, Islamic Violence in America’s Streets, page 160
[11] Speech at David Horowitz’s Wednesday Morning Club; https://www.splcenter.org/fighting-hate/extremist-files/individual/robert-spencer
[12] Robert Spencer, Interview with the Liberal Institute, September 2007; https://www.splcenter.org/fighting-hate/extremist-files/individual/robert-spencer
[13] Ronald K. Pierce, Islamic Violence in America’s Streets, page 175; https://www.google.co.in/books/edition/Islamic_Violence_in_America_s_Streets/RBdOBAAAQBAJ?hl=en&gbpv=1&dq=Ronald+K.+Pierce,+Islamic+Violence+in+America%E2%80%99s+Streets&printsec=frontcover
[14] Robert Spencer, Speech at David Horowitz’s Restoration Weekend; https://www.splcenter.org/fighting-hate/extremist-files/individual/robert-spencer
[15] Ronald K. Pierce, Islamic Violence in America’s Streets, page 177; https://www.google.co.in/books/edition/Islamic_Violence_in_America_s_Streets/RBdOBAAAQBAJ?hl=en&gbpv=1&dq=Ronald+K.+Pierce,+Islamic+Violence+in+America%E2%80%99s+Streets&printsec=frontcover